Monday, May 18, 2020

हर जन की आवाज़ लोकल को वोकल बनाये - स्वदेशी को ही रोज़मर्रा में लाएं


कोरोना संकट में जब हर देश इस बीमारी से लड़ने में लगे हुए है। वहीं भारत की कोशिश है पूरी दुनिया में वो अपनी उपलब्धियों का परचम लहराए किस तरह स्वदेशी ही दुनिया में विस्तार से फैले और इससे ये सिद्ध हो सके जो मेक इन इंडिया है वही सर्वश्रेष्ठ है। इस महामारी ने हमें खुद के हुनर को पहचानने का मौका दिया है , हम क्या क्या कर सकते है ये खोयी हुई पहचान बनाने का मौका दिया है ताकि दुनिया भर में हम सीना ठोक कर कह सके के हम किसी से कम नहीं।
जब संकट आता है तो भारत की विभिन्ता कैसे एकता में बदलती है और एक नया इतिहास रचती है इसका इतिहास गवा है। १९६२ में जब इंडिया चीन का युद्ध हुआ तो इंडिया आर्थिक रूप से कमज़ोर हो गया और भारत में भयंकर भुखमरी हुई । १९६५ में जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने तो कुछ समय बाद हिंदुस्तान और पाकिस्तान का युद्ध हुआ तो अमेरिका के राष्ट्रपति ने शास्त्री जी से कहा के वो युद्ध बन करवा दें नहीं तो गेंहू का निर्यात बंद हो जायेगा तो शास्त्री अपनी बात पर अडिग रहे उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति की नहीं सुनी और कहने लगे के अगर गेंहू का निर्यात बंद होता है तो हो जाये। उसके बाद जब लाल बहादुर शास्त्री ने अपील की भारत की जनता से सब एक दिन का उपवास कीजिये और कृषि क्षेत्र में आतम निर्भर हो जाएं तो पूरा देश ने उनके शब्द सर माथे लिए और एक वो मंजर आया जब भारत गेंहू का सबसे बड़ा सप्लायर बना।

आज भी वही समय है एक बार फिर भारत इस आर्थिक मंदी के दौर से गुज़र रहा है एक समय था जब भारत ने कोरोना में इस्तेमाल होने वाले मेडिकल प्रोडक्ट्स जैसे वेंटिलेटर्स ,PPE किट, N95 मास्क बाहर से आयत किये मगर जब वही उपकरण बेकार निकले तो भारत ने ठान लिया ज़रूरत पड़ी है तो इसे हमें खुद ही इन्हें तैयार करना है और आज भारत ने ऐसे वेंटिलेटर्स बनाये है जिसकी गुंडवत्ता का कोई जवाब नही। मात्र १० दिन में त्यार की गयी टेस्टिंग किट ने तो पूरे विश्व में भारत को चर्चा का विषय बना दिया । बस अब यही लक्ष्य है जो पिछले ७० सालो से जिसकी आदत यह लग चुकी थी उसे अब दूर हटाकर अपना वर्चस्व कायम कर दुनिया को दिखाना है जो स्वदेशी है वही सटीक है।

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