बीते कुछ दिनों में जो संसार में घटित हो रहा है उसने भूले बिसरे संस्कारो को हमारे फिर से ज़िंदा कर दिया है।
मैं बात कर रही हूँ कोरोना वायरस , एक ऐसा विलन जिसकी न कोई जाती है न कोई मज़हब। यह एक ऐसी महामारी है जिसने लोगो को घरों में बैठने पर मजबूर कर दिया है।
व्यापार सब थप पड़े हैं अर्थवव्यस्था पर पड़ी इस महामारी की चोट जो पुरे विश्व में पड़ी है वो भूले नहीं भूलेगा।
विकसित देशों पर मंडराता हर दिन मौत का साये का दृश्ये कुछ ऐसा ही दर्शाता है के महामारी के आगे ताकत भी काम नहीं आती । काम आती है तो सिर्फ बुद्धिमानी , हर बार अपने घमंड में मदमस्त रहने वाले ये विकसित देशो ने भी घुटने आखिर टेक ही दिए । इंसान की कीमत शायद वो लोग भूल गए हैं , भूल गए हैं की अगर इंसान रहेगा तो ही अर्थव्यवस्था व्यवस्थित होगी।
महामारी के इस संकट समय में विजय उसी की होती है जो पहला कदम दूसरों क हिट में पहले रखता है ।
भगवन श्री कृष्णा कहते है सृष्टि मेरे ही अधीन है मैं ही करता हूँ मगर मैं यह भी कहता हूँ करम को करते रहना ही इसका समाधान है। इस संसार में जो भी घटित होता है उसके होने का एक महत्त्व होता है ।
कोरोना वायरस जहाँ एक और इंसान का काल बना हुआ है , वही दूसरी और प्रकृति के लिए फायदे का साबित हुआ एक तरफ इंसान घरों में कैद है व्ही प्रकृति ने बहार आकर अपनी अनोखी अदाओं से कुछ ऐसे नज़ारे पेश कर रही है जो कभी प्रदूषण की चादर से लुप्त हो गए थे । नदियाँ जो लाखों क्रोड़ों खर्च करने के बाद भी साफ़ नहीं हो पायी वो आज इस महामारी से साफ़ होती दिख रही हैँ। पशु पक्षी बाहर आकर साफ़ हवा में सांस लेने लगे हैं ।
भले ही हमें अपने घरों में कैद होना पद रहा है मगर जो समय अपनों के साथ बीत रहा है वो अकल्पनीय अतुलनीय है । हमें मिलकर इस कोरोना वायरस की कड़ी को तोडना है और इस महामारी ये सीखना है अपनों के साथ से हम हर संकट का सामना कर सकते हैं ।
मैं बात कर रही हूँ कोरोना वायरस , एक ऐसा विलन जिसकी न कोई जाती है न कोई मज़हब। यह एक ऐसी महामारी है जिसने लोगो को घरों में बैठने पर मजबूर कर दिया है।
व्यापार सब थप पड़े हैं अर्थवव्यस्था पर पड़ी इस महामारी की चोट जो पुरे विश्व में पड़ी है वो भूले नहीं भूलेगा।
विकसित देशों पर मंडराता हर दिन मौत का साये का दृश्ये कुछ ऐसा ही दर्शाता है के महामारी के आगे ताकत भी काम नहीं आती । काम आती है तो सिर्फ बुद्धिमानी , हर बार अपने घमंड में मदमस्त रहने वाले ये विकसित देशो ने भी घुटने आखिर टेक ही दिए । इंसान की कीमत शायद वो लोग भूल गए हैं , भूल गए हैं की अगर इंसान रहेगा तो ही अर्थव्यवस्था व्यवस्थित होगी।
महामारी के इस संकट समय में विजय उसी की होती है जो पहला कदम दूसरों क हिट में पहले रखता है ।
भगवन श्री कृष्णा कहते है सृष्टि मेरे ही अधीन है मैं ही करता हूँ मगर मैं यह भी कहता हूँ करम को करते रहना ही इसका समाधान है। इस संसार में जो भी घटित होता है उसके होने का एक महत्त्व होता है ।
कोरोना वायरस जहाँ एक और इंसान का काल बना हुआ है , वही दूसरी और प्रकृति के लिए फायदे का साबित हुआ एक तरफ इंसान घरों में कैद है व्ही प्रकृति ने बहार आकर अपनी अनोखी अदाओं से कुछ ऐसे नज़ारे पेश कर रही है जो कभी प्रदूषण की चादर से लुप्त हो गए थे । नदियाँ जो लाखों क्रोड़ों खर्च करने के बाद भी साफ़ नहीं हो पायी वो आज इस महामारी से साफ़ होती दिख रही हैँ। पशु पक्षी बाहर आकर साफ़ हवा में सांस लेने लगे हैं ।
भले ही हमें अपने घरों में कैद होना पद रहा है मगर जो समय अपनों के साथ बीत रहा है वो अकल्पनीय अतुलनीय है । हमें मिलकर इस कोरोना वायरस की कड़ी को तोडना है और इस महामारी ये सीखना है अपनों के साथ से हम हर संकट का सामना कर सकते हैं ।
Vry nyc
ReplyDeleteGood work
ReplyDeleteBrilliant
Bahut bahut dhanyawad
DeleteRight ....keep it up....
ReplyDeleteShukriya
Deletesuperb
ReplyDeleteKeep going
ReplyDeleteThanku
ReplyDeleteThankyou for your wish
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