कहते हैं देशभक्ति का कोई रंग नहीं होता । देशभक्ति ये शब्द अपने आप में ही इतना प्रेरणा दायक है के जब ही इस शब्द का प्रयोग होता है तो हर हिंदुस्तानी का सीना गर्व से छोड़ा हो जाता है। देशभक्ति एक ऐसी भावना जो समय , मज़हब , उम्र से ऊपर है ।
गीता में भगवन श्री कृष्णा अर्जुन को कर्मयोग संदर्ब में जब उसे कर्म , अकर्मा , विकर्म के बारे में समझाते हैं तो कहते है किसी फल की इच्छा से किया काम वो कर्म है। श्री कृष्णा आगे कहते हैं अगर किसी कर्म में किसी दूसरे का हित नहीं है , स्वार्थ भावना से किया कर्म विकर्म कहलाता है ।
वहीँ बिना किसी स्वार्थ के बिना किसी फल की इच्छा किये बिना ऐसे कर्म जो दूसरों के हित में किया जाये वो अकर्मा कहलाता है ।
“”बहुत हुआ अब बंद करो, भटकन का अब अंत करो, देश हमारा ऊपर है, देश भक्ति सर्वोपरि है,
विविध बाधा आती रहती, आकांक्षा लुभाती रहती, विश्वशांति के अग्रदूत हम , “स्वामी” के अग्रज सपूत हम,
बनकर शांति सम्राट विश्व के, अमर करें यह काशी, हम हैं भारतवासी, हम हैं भारतवासी “”
घटना का घटित होना तो निर्धारित है मगर संकट के समय जो अपने देशवासियों के लिए अपनी सच्ची देशभक्ति से इन शब्दों का मतलब समझा जाये वही सच्चा देशभक्त है । आज पुरे विश्व में महामारी कोरोना वायरस अपने पैर तेज़ी से पसार रही है , हमारे डॉक्टर्स , नर्सेज सफाई कर्मचारी , पुलिस ये सब जहाँ फ्रोंटलाइन पर खड़े होकर अपनी जान को झोकीम में डालकर दूसरों को बचने में लगे है उसकी व्याख्या जितनी करें उतनी कम है क्यूंकि जो जज़्बा जो देशप्रेम उन्होंने दिखाया है आज सारी दुनिया इनके आगे नतमस्तक है।
आज इनके जज़्बे ने दिखा दिया है के जब तक हम हैं कोई भी संकट कमज़ोर नहीं कर सकता । जल , थल और नभ से लेकर पुरे विश्व इनके सम्मान में खड़े हैं चाहे इनके सम्मान में थालियां और तालियां बजाना हो या फिर दिए के प्रकाश से जगमगाता इनका हौसला को सलाम देना ये साबित करते हैं एक सच्चे देशभकत की परिभाषा।
इनका सम्मान हमें हर दिन हर पल करना चाहिए क्यूंकि हर पल अपने मौत को हाथ में लेकर घूमने वाले ये योद्धाओ की देशभक्ति अतुलनीय हैः।
गीता में भगवन श्री कृष्णा अर्जुन को कर्मयोग संदर्ब में जब उसे कर्म , अकर्मा , विकर्म के बारे में समझाते हैं तो कहते है किसी फल की इच्छा से किया काम वो कर्म है। श्री कृष्णा आगे कहते हैं अगर किसी कर्म में किसी दूसरे का हित नहीं है , स्वार्थ भावना से किया कर्म विकर्म कहलाता है ।
वहीँ बिना किसी स्वार्थ के बिना किसी फल की इच्छा किये बिना ऐसे कर्म जो दूसरों के हित में किया जाये वो अकर्मा कहलाता है ।
“”बहुत हुआ अब बंद करो, भटकन का अब अंत करो, देश हमारा ऊपर है, देश भक्ति सर्वोपरि है,
विविध बाधा आती रहती, आकांक्षा लुभाती रहती, विश्वशांति के अग्रदूत हम , “स्वामी” के अग्रज सपूत हम,
बनकर शांति सम्राट विश्व के, अमर करें यह काशी, हम हैं भारतवासी, हम हैं भारतवासी “”
घटना का घटित होना तो निर्धारित है मगर संकट के समय जो अपने देशवासियों के लिए अपनी सच्ची देशभक्ति से इन शब्दों का मतलब समझा जाये वही सच्चा देशभक्त है । आज पुरे विश्व में महामारी कोरोना वायरस अपने पैर तेज़ी से पसार रही है , हमारे डॉक्टर्स , नर्सेज सफाई कर्मचारी , पुलिस ये सब जहाँ फ्रोंटलाइन पर खड़े होकर अपनी जान को झोकीम में डालकर दूसरों को बचने में लगे है उसकी व्याख्या जितनी करें उतनी कम है क्यूंकि जो जज़्बा जो देशप्रेम उन्होंने दिखाया है आज सारी दुनिया इनके आगे नतमस्तक है।
आज इनके जज़्बे ने दिखा दिया है के जब तक हम हैं कोई भी संकट कमज़ोर नहीं कर सकता । जल , थल और नभ से लेकर पुरे विश्व इनके सम्मान में खड़े हैं चाहे इनके सम्मान में थालियां और तालियां बजाना हो या फिर दिए के प्रकाश से जगमगाता इनका हौसला को सलाम देना ये साबित करते हैं एक सच्चे देशभकत की परिभाषा।
इनका सम्मान हमें हर दिन हर पल करना चाहिए क्यूंकि हर पल अपने मौत को हाथ में लेकर घूमने वाले ये योद्धाओ की देशभक्ति अतुलनीय हैः।
Brilliant
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Deleteawesome
ReplyDeleteThanku sportsfree
DeleteExcellent
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DeleteGood work
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