Thursday, May 7, 2020

गैस लीकेज त्रासदी का खौफनाक मंज़र

सावधानी हटी दुर्घटना घटी एक बड़ी ही प्रसिद्ध कहावत है । ३ दिसंबर १९८४ की वो रात जिसने पुरे भोपाल को हमेशा के लिए न भूलने वाला मंज़र दिखाया , जिसे लोग आज भी याद रखते हैं तो उसकी व्याकया सुनकर उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं । भोपाल गैस त्रासदी एक ऐसा गैस लीकेज हादसा यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड पेस्टिसाइड प्लांट में जो भोपाल,मध्य प्रदेश में कार्य कर रहा था। यह माना जाता है के ये विश्व के सबसे बड़े इंडस्ट्रियल हादसों में से था जिससे ३ लाख से ज़्यादा लोगो ने अपनी इस हादसे में अपनी जान गवाई और न जाने कितने ही इस हादसे क बाद भी अपंग पैदा हुए।


समय अभी बीता ही था के ६-मई २०२० की देर रात हुए विशाखापट्नम में हुए एक पॉलीमर कंपनी में भी ठीक उसी तरह गैस लीकेज की सूचना मिली । इमरजेंसी में कई लोगो को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जो लोग आंखों में जलन , सांस लेने में कठिनाई का सामना कर रहे थे। यह पॉलीमर कंपनी ठीक लोकडाउन के बाद खुलनी थी तो सवाल ये आता है के ज़िन्दगी भर के लिए जखम देने वाला ये हादसा , इसका ज़िम्मेदार कौन है। 


अभी तक भोपाल गैस को भी लोग भूल नहीं पाए थे इस  विज़ाग हादसे ने पुराने ज़ख्मो को फिर से ताज़ा कर दिया है। भोपल गैस त्रासदी में हुई जांच में ये पाया गया के गैस लीकेज के दौरान कोई भी सेफ्टी पॉइंट काम नहीं कर रहा था जिसकी वजह से  लगभग ५४००० पौंड "MIC "  नाम का केमिकल धीरे धीरे हवा में घुल गया और साथ ही वहां की ज़मीं में भी इस केमिकल ने अपनी जगह बना ली जिससे आज भी लोग जो उस गैस त्रासदी के विक्टिम भी नहीं है फिर भी वो अपंग जनम ले रहे हैं। आज भी उस रत को हुए अन्याय का अभी तक न्याय नहीं मिला है।

विज़ाग में हुए हादसे में अभी तक ११ लोग जान गवा बैठे हैं और ५००० से ज़्यादा बिमार हैं।  उम्मीद है के भोपाल गैस में हुई लापरवाही की वजह से हुई मौत इस विज़ाग में न देखने को मिले। दुर्घटना किसी के साथ भी हो सकती है मगर दुर्घटना हादसों में तब बदल जाती है जब लापरवाही होती है। आज भारत को भोपाल और विज़ाग में हुए गैस लीकेज हादसों से सीखने की ज़रूरत है के ऐसे हादसे जहाँ एक लापरवाही कैसे महामारी में तब्दील हो जाती है। ऐसे में इन हादसो से बचने का हल है पहला तो यह है के वैज्ञानिक कुछ इस तरह गैस का फोर्मेशन करें जिससे गैस फैलने से पहले ही तरल फॉर्म में तब्दील हो जाये इससे एक तो गैस हवा में नहीं फैलेगी और गैस फैलने के कारण लोगो को होने वाली सांस में तकलीफमें कमी आएगी। अगर ऐसा करना सम्भवता पॉसिबल नहीं है तो ऐसे फैक्ट्रीज को पुरे सेफ्टी मानकों के साथ ही खोलना चाइये ताकि किसी एक की लापरवाही हज़्ज़ारों की जान न ले पाए।   


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