बरसों से धरती पर पाप नाशनी भागीरथी जिसे हम गंगा भी कहते हैं उसका जल किसी चमत्कारी औषधि से कम नहीं है.हाल में किया गया दावा जो यह कहता है के गंगा का जल एक नेचुरल हैंड सांइटिज़ेर या फिर कोरोना की वैक्सीन बनाने के उपयोग में लाया जा सकता है .वैज्ञानिक शोध के अनुसार गंगा के जल में ऐसे बैक्टीरिया पाए जाते हैं जिससे उसका जल कभी सड़ता नहीं है. शोध में ये भी माना गया है के गंगा नदी में जो खूबियां है वो किसी और नदी मे नहीं है.क्यूंकि कहा जाता है जब गंगा हिमालय के गोमुख से होकर गुज़रती है तो अपने साथ ओषधियों के उद्धरण भी लेकर गुज़रती है।
गंगाजल में सिर्फ यही नहीं बहुत से किस्म के शोध भी हुए हैं जैसे रेडियोलॉजिकल टेस्ट , माइक्रोबायोलोजिकल टेस्ट , बायोलॉजिकल टेस्ट।गंगाजल के जीवाणु जैसे एस्केरेशिआ, एन्टेरोबेक्टर, साल्मोनेला , शिगेला और विब्रिओ। ये जीवाणु कुछ हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है और कुछ नुकसानदायी मगर इस शोध में आगे ये भी पता चला गंगा के पानी में इन जीवाणु के इलावा ११०० किसम के बक्टेरिओफैज़ पाए जाते है जो इसे अमृत बनाते है। ये बक्टेरिओफैज़ ऐसे जीवाणु को कहते हैं जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद नहीं है। इसी के तहत गंगा का जल ऐसी बीमारियों के उपयोग में लाया जा सकता है जो बैक्टीरिया से उत्पन होती है।
सवाल ये है क्या गंगा का जल कोरोना के वैक्सीन के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। क्यूंकि कोरोना बीमारी बैक्टीरिया से उत्पन हुई बीमारी नहीं है बल्कि ये वायरस से उत्पन हुई बीमारी है। फ़िलहाल ICMR को एक पत्र द्वारा इसके जल की फिर से शोध करने की अपील की गयी है।
गंगाजल में सिर्फ यही नहीं बहुत से किस्म के शोध भी हुए हैं जैसे रेडियोलॉजिकल टेस्ट , माइक्रोबायोलोजिकल टेस्ट , बायोलॉजिकल टेस्ट।गंगाजल के जीवाणु जैसे एस्केरेशिआ, एन्टेरोबेक्टर, साल्मोनेला , शिगेला और विब्रिओ। ये जीवाणु कुछ हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है और कुछ नुकसानदायी मगर इस शोध में आगे ये भी पता चला गंगा के पानी में इन जीवाणु के इलावा ११०० किसम के बक्टेरिओफैज़ पाए जाते है जो इसे अमृत बनाते है। ये बक्टेरिओफैज़ ऐसे जीवाणु को कहते हैं जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद नहीं है। इसी के तहत गंगा का जल ऐसी बीमारियों के उपयोग में लाया जा सकता है जो बैक्टीरिया से उत्पन होती है।
सवाल ये है क्या गंगा का जल कोरोना के वैक्सीन के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। क्यूंकि कोरोना बीमारी बैक्टीरिया से उत्पन हुई बीमारी नहीं है बल्कि ये वायरस से उत्पन हुई बीमारी है। फ़िलहाल ICMR को एक पत्र द्वारा इसके जल की फिर से शोध करने की अपील की गयी है।