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Wednesday, May 13, 2020

आत्म निर्भर होगा भारत

कहते हैं हर संकट हमेशा अच्छी सीख देकर जाता है ।क्यूंकि संकट में एक अवसर है बदलाव का। कोरोना वायरस आज पूरे देश में एक ज़हर की तरह घुल रहा है । भारत समेत अनेक विकसित देश भी इसकी चपेट में है , न जाने कितने ही लोग इससे अब तक संक्रमित है और कितने ही इससे अपनी जान गवा बैठे हैं। आज अर्थव्यवस्था पूरी तरह डगमगा चुकी है मगर भारत में ये संकट उसके लिए एक सुनेहरा अवसर लेकर आया है । जिससे भारत एक बेहतर अर्थव्यव्स्थित देश ही नहीं बनेगा बल्कि आत्म निर्भर होकर समूचे विश्व के लिए एक मिसाल भी पेश करेगा।

भारत द्वारा इस संकट की घडी में सही वक़्त पर लिए गए निर्णय, उसकी कार्यशैली पर निसंदेह आज पूरी दुनिया की नज़रें है क्यूंकि भारत जनसंख्या के मामले में दूसरे नंबर पर है मगर जिस ढंग से कोरोना को कण्ट्रोल किये हुए है वो सराहनीये है । आज बड़ी बड़ी सर्वे कम्पनीज जब विश्व का कोरोना संकट से उसकी मैनेजमेंट का सर्वे करती हैं तो भारत को पहले पायदान पर पाती है। चाहे मरकज़ हो या फिर मज़दूरों का पलायन इन सभी कमज़ोर कर देने वाली घटनाओ के आगे भी भारत ने अपने घुटने नहीं टेके बल्कि और भी मज़बूती से काम करता गया ।
make in india


"वसुदेव कुटुंबकम " की परिभाषा भी भारत ने इस संकट में सिद्ध करके दिखाई है । जिस तरह भारत ने अपने पडोसी देशों को जो मेडिसिन मदद भेजी है ,उससे भारत के आगे सभी विकसित देश नतमस्तक हैं। कोरोना के जन्मदाता से धोखा खाने के बाद विकसित देशों की कम्पनीज आज भारत में निवेश करने के लिए उत्साहित हैं । आज भारत में उसके इसी आत्म बल पर PPE किट हो, वेंटिलेटर्स हो , मास्क हो, सेनिटाइज़र्स हो इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। यही नहीं भारत कोरोना की वैक्सीन बनाने के भी करीब है । भारत की युवा शक्ति ये हौसला दिलाती है के भारत आत्म निर्भर बनेगा और आने वाले कुछ वर्षो में भारत फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा।

स्वामी विवेकानंद के अनमोल शब्द आज भारत को इसी संकल्प के साथ इस महामारी से लड़ने का हौसला दे रहे हैं -

"जागो उठो और तब तक मत रुको 
जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये"

Tuesday, May 5, 2020

कोरोना वायरस एक विलन

बीते कुछ दिनों में जो संसार में घटित हो रहा है उसने भूले बिसरे संस्कारो को हमारे फिर से ज़िंदा कर दिया है।
मैं बात कर रही हूँ कोरोना वायरस , एक ऐसा विलन जिसकी न कोई जाती है न कोई मज़हब।  यह एक ऐसी  महामारी है जिसने लोगो को घरों में बैठने पर मजबूर कर दिया है।

व्यापार सब थप पड़े हैं अर्थवव्यस्था पर पड़ी इस महामारी की चोट जो पुरे विश्व में पड़ी है वो भूले नहीं भूलेगा।
विकसित देशों पर मंडराता हर दिन  मौत का साये का दृश्ये कुछ ऐसा ही दर्शाता है के महामारी के आगे ताकत भी काम नहीं आती । काम आती है तो सिर्फ बुद्धिमानी , हर बार अपने घमंड में मदमस्त रहने वाले ये विकसित देशो ने भी घुटने आखिर टेक ही दिए । इंसान की कीमत शायद वो लोग भूल गए हैं , भूल गए हैं की अगर इंसान रहेगा तो ही अर्थव्यवस्था व्यवस्थित होगी।



महामारी के इस संकट  समय में विजय उसी की होती है जो पहला कदम दूसरों क हिट में पहले रखता है ।
भगवन श्री कृष्णा कहते है सृष्टि मेरे ही अधीन है मैं ही करता हूँ मगर मैं यह भी कहता हूँ करम को करते रहना ही इसका समाधान है। इस संसार में जो भी घटित होता है उसके होने का एक महत्त्व होता है ।

कोरोना वायरस जहाँ एक और इंसान का काल बना हुआ है , वही दूसरी और प्रकृति के लिए फायदे का साबित हुआ एक तरफ इंसान घरों में कैद है व्ही प्रकृति ने बहार आकर अपनी अनोखी अदाओं से कुछ ऐसे नज़ारे पेश कर रही है जो कभी प्रदूषण की चादर से लुप्त हो गए थे । नदियाँ जो लाखों क्रोड़ों खर्च करने के बाद भी साफ़ नहीं हो पायी वो आज इस महामारी से साफ़ होती दिख रही हैँ। पशु पक्षी बाहर आकर साफ़ हवा में सांस लेने लगे हैं ।

भले ही हमें अपने घरों में कैद होना पद रहा है मगर जो समय अपनों के साथ बीत रहा है वो अकल्पनीय अतुलनीय है । हमें मिलकर इस कोरोना वायरस की कड़ी को तोडना है और इस महामारी ये सीखना है अपनों के साथ से हम हर संकट का सामना कर सकते हैं ।