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Monday, May 11, 2020

अर्थ इस रिचार्जिंग

कोरोना के कहर से पूरा विश्व देहल रहा है वहीं धरती अब फिर से मुस्कुराने लगी है प्रकति एक अनोखे ही अंदाज़ में अपने जलवे दिखला रही है । कोरोना काल से कुछ वर्ष पूर्व की बात ही करें तो हम पाएंगे की कैसे इंसान प्रकर्ति का दुश्मन बना हुआ था। लगातार हो रही वृक्षों की कटाई ,हवा में ज़हर घोलता प्रदूषण ये काफी नहीं प्रकर्ति की तबाही के लिए।



इंसान भूल गया है जिस बेइन्ताह वो प्रकर्ति से खिलवाड़ कर रहा है इससे न सिर्फ खुद के लिए पतन का रास्ता खोल रहा है बल्कि अपने आने वाली पुश्तों से उनका जीने का सहारा ख़तम कर रहा है। जीने क लिए साफ़ हवा में सांस लेना , शुद्ध पानी ये कितने ही आवश्यक हैं इंसान इन्ही को खुद से दूर करता जा रहा है। कुछ लोगो द्वारा इन्हें बचाने के लिए काफी प्रयास भी किये गए, वृक्ष लगाए गए ,अनेक प्रकार की योजनएं अपनायी गयी मगर जो बदलाव एक वायरस ने कर दिया वो समझ से परे है ।



आज पूरा विश्व लोकडाउन में है , लोग अपने घरों में कैद हैं , व्यवस्थाएं सब बंद हैं ।ऐसे में अब धरती खुद को रिचार्ज कर रही है। नदियां खुद ब खुद स्व्च्छ हो रही है।जो दृशय सालो पूर्व लुप्त हो गये थे आज वो इंसान को फिर से देखने के लिए उभर रहे हैं। कोरोना काल से हमें प्रेरणा  लेनी चाहिए के प्रकति है तो ही जीवन है । जिस तरह हम  कोरोना से अपने आप के साथ दूसरों को  भी बचा रहे है इसी  तरह प्रकर्ति को भी आगे आने वाले समय में बचाना है ।