कहते हैं हर संकट हमेशा अच्छी सीख देकर जाता है ।क्यूंकि संकट में एक अवसर है बदलाव का। कोरोना वायरस आज पूरे देश में एक ज़हर की तरह घुल रहा है । भारत समेत अनेक विकसित देश भी इसकी चपेट में है , न जाने कितने ही लोग इससे अब तक संक्रमित है और कितने ही इससे अपनी जान गवा बैठे हैं। आज अर्थव्यवस्था पूरी तरह डगमगा चुकी है मगर भारत में ये संकट उसके लिए एक सुनेहरा अवसर लेकर आया है । जिससे भारत एक बेहतर अर्थव्यव्स्थित देश ही नहीं बनेगा बल्कि आत्म निर्भर होकर समूचे विश्व के लिए एक मिसाल भी पेश करेगा।
भारत द्वारा इस संकट की घडी में सही वक़्त पर लिए गए निर्णय, उसकी कार्यशैली पर निसंदेह आज पूरी दुनिया की नज़रें है क्यूंकि भारत जनसंख्या के मामले में दूसरे नंबर पर है मगर जिस ढंग से कोरोना को कण्ट्रोल किये हुए है वो सराहनीये है । आज बड़ी बड़ी सर्वे कम्पनीज जब विश्व का कोरोना संकट से उसकी मैनेजमेंट का सर्वे करती हैं तो भारत को पहले पायदान पर पाती है। चाहे मरकज़ हो या फिर मज़दूरों का पलायन इन सभी कमज़ोर कर देने वाली घटनाओ के आगे भी भारत ने अपने घुटने नहीं टेके बल्कि और भी मज़बूती से काम करता गया ।
"वसुदेव कुटुंबकम " की परिभाषा भी भारत ने इस संकट में सिद्ध करके दिखाई है । जिस तरह भारत ने अपने पडोसी देशों को जो मेडिसिन मदद भेजी है ,उससे भारत के आगे सभी विकसित देश नतमस्तक हैं। कोरोना के जन्मदाता से धोखा खाने के बाद विकसित देशों की कम्पनीज आज भारत में निवेश करने के लिए उत्साहित हैं । आज भारत में उसके इसी आत्म बल पर PPE किट हो, वेंटिलेटर्स हो , मास्क हो, सेनिटाइज़र्स हो इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। यही नहीं भारत कोरोना की वैक्सीन बनाने के भी करीब है । भारत की युवा शक्ति ये हौसला दिलाती है के भारत आत्म निर्भर बनेगा और आने वाले कुछ वर्षो में भारत फिर से सोने की चिड़िया कहलायेगा।
स्वामी विवेकानंद के अनमोल शब्द आज भारत को इसी संकल्प के साथ इस महामारी से लड़ने का हौसला दे रहे हैं -
"जागो उठो और तब तक मत रुको
जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये"